अमेरिका द्वारा भारतीय सामान पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने के बाद भारत सरकार ने अपने निर्यातकों को राहत देने के लिए 45,000 करोड़ रुपए की दो नई योजनाओं को मंजूरी दी है। इन योजनाओं का उद्देश्य भारतीय उद्योगों को अमेरिकी शुल्क के असर से बचाना और वैश्विक बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धा बनाए रखना है।
दो बड़ी योजनाएं- EPM और CGSE
- 25,060 करोड़ रुपए की “निर्यात संवर्धन मिशन (EPM)” योजना एमएसएमई, पहली बार निर्यात करने वाले उद्यमों और श्रम-प्रधान क्षेत्रों को मजबूत बनाएगी।
- 20,000 करोड़ रुपए की “क्रेडिट गारंटी योजना (CGSE)” निर्यातकों को बिना गारंटी के सस्ता कर्ज उपलब्ध कराएगी।
अमेरिका से व्यापार वार्ता जारी
ट्रंप प्रशासन द्वारा अगस्त में लगाए गए भारी टैरिफ से भारत के अरबों डॉलर के निर्यात पर असर पड़ा है। दोनों देश अब नए द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं। “निर्यात संवर्धन मिशन” छह साल तक चलेगा और इसे दो हिस्सों निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा में बांटा गया है।
इन क्षेत्रों को होगा सीधा फायदा
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, यह मिशन वस्त्र, चमड़ा, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पाद जैसे सेक्टरों को प्राथमिकता देगा, जिन्हें अमेरिकी बाजार में उच्च शुल्क से झटका लगा है। सितंबर में अमेरिका को भारत का निर्यात लगभग 12% घटकर 5.46 अरब डॉलर रह गया।
एमएसएमई को सस्ता कर्ज और नए बाजारों में मौका
EPM के तहत निर्यातकों को ब्याज सहायता, क्रेडिट कार्ड सुविधा, ई-कॉमर्स निर्यात सहायता और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बिल फैक्टरिंग जैसी सुविधाएं मिलेंगी। वहीं, “निर्यात दिशा” उप-योजना के तहत ब्रांडिंग, पैकेजिंग, गुणवत्ता प्रमाणन और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में भागीदारी जैसी मदद दी जाएगी।
100% ऋण गारंटी और 1,000 अरब डॉलर का लक्ष्य
वित्त मंत्रालय की राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी (NCGTC) के जरिए CGSE योजना लागू होगी, जिसमें निर्यातकों को 100% ऋण गारंटी दी जाएगी। सरकार का लक्ष्य 1,000 अरब डॉलर का निर्यात हासिल करना है। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति इसकी प्रगति पर नजर रखेगी। निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो (FIEO) ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे भारतीय निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई ऊर्जा मिलेगी।